बेबस होकर रोने के सिवा क्या मिलता है
हाले-दुनिया न सुना मुझको, दिल जलता है ।
देखना है तो बस इतना कि कब फटेगा ये
यूँ तो हर पल बगावत का लावा उबलता है ।
हालात बद से बदतर हुए हैं तो बस इसलिए
चलने देते हैं हम लोग, जो कुछ चलता है ।
बच्चों-सा मासूम है ये, हम-सा शातिर नहीं
मचलने भी दो इसको अगर दिल मचलता है ।
सितमगर की हुकूमत कब तक चलती रहेगी
आखिर वक़्त कभी-न-कभी रुख बदलता है ।
उसका शबाब कितना भी लाजवाब क्यों न हो
ये तो मुअय्यन है ' विर्क ' हर दिन ढलता है ।
दिलबागसिंह विर्क
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काव्य संग्रह - 100 क़दम
संपादक - मुकेश सिन्हा, अंजू चौधरी
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1 टिप्पणी:
सितमगर की हुकूमत कब तक चलती रहेगी
आखिर वक़्त कभी-न-कभी रुख बदलता है ...बहुत खूबसूरत है हर शेर
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