मुहब्बत टूटने का न कर मलाल
बेवफ़ाई तो है इस दौर का कमाल।
बस रौशनी की ही अहमियत है
कौन पूछता है चिराग़ाँ का हाल।
अपने जज़्बातों को क़ैद न करना
आने भी दो इन पर कोई उबाल।
जिसको देखकर ज़माना वफ़ा करे
तू ख़ुद बनकर दिखा वो मिसाल।
सुना देंगे ये कोई नया बहाना
न करो इन लोगों से कोई सवाल।
इसे सोचकर तुम ख़ुश हो लिया करो
ये ख़ुशी तो है ‘विर्क’ एक हसीं ख़्याल।
दिलबागसिंह विर्क
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1 टिप्पणी:
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (13-07-2018) को "लोग हो रहे मस्त" (चर्चा अंक-3031) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
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