आएगी आफत तू इस डर से न डरा
हर दर्द लगे है मुझको तो एक दवा ।
इस मैं ने हमको पकड़ रखा कुछ ऐसे
हम करते रहते अक्सर तेरा-मेरा ।
मंदिर-मस्जिद में क्यों ढूँढू मैं उसको
जब मेरे पहलू में बैठा आज खुदा ।
ये साजन से मिलकर आया है जैसे
नाच रहा इस कुदरत का जर्रा-जर्रा ।
तुम देखो उल्फत में क्या हश्र हुआ है
मैं सुधरा, टूटा, बिखरा या फिर बहका ।
तेरा न हुआ तो क्यों गम में डूबा है
'विर्क' सुनो तो, ये वक्त हुआ है किसका ?
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2 टिप्पणियां:
तेरा न हुआ तो क्यों गम में डूबा है
'विर्क' सुनो तो, ये वक्त हुआ है किसका ?
बहुत सुन्दर
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ये साजन से मिलकर आया है जैसे
नाच रहा इस कुदरत का जर्रा-जर्रा ।
तेरा न हुआ तो क्यों गम में डूबा है
'विर्क' सुनो तो, ये वक्त हुआ है किसका ?
बहुत सशक्त अभिव्यक्ति अर्थ विस्फोट हुआ हैं यहाँ पर
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