सोमवार, अक्तूबर 14, 2013

ये दिल कभी बंजर नहीं होता

    करे पागल, मुहब्बत का असर किस पर नहीं होता
    बड़ा जरखेज है , ये दिल कभी बंजर नहीं होता ।

    कशिश है खास, सादापन सदा तारीफ पा लेता 
    न मानो बेहतर, ये हुस्न से कमतर नहीं होता ।

    बड़ा मुश्किल मगर खुद्दार होना तो जरूरत है
    झुके जो हर किसी के सामने वो सिर नहीं होता ।

    हमें बेखौफ कर देता, मुहब्बत पाक जज्बा है
    करे है इश्क जो, उसको किसी का डर नहीं होता ।

    हजारों चाहने वाले मगर साथी नहीं कोई
    यही तो है नसीब, तवाइफों का घर नहीं होता ।

    मुझे तो पाक दिखता है मिरे महबूब का दर भी
    यहाँ सजदा न हो खुद, वो खुदा का दर नहीं होता ।

    कभी घर ही बने मंदिर, बनाना ' विर्क ' जब चाहें
    जिसे मंदिर कहा, वो भी कभी मंदिर नहीं होता ।

                             *********

3 टिप्‍पणियां:

virendra sharma ने कहा…


हमें बेखौफ कर देता, मुहब्बत पाक जज्बा है
किया हो इश्क जब तो फिर किसी का डर नहीं होता ।

बहुत खूब विर्क साहब एक से बढ़कर एक शैर पूरी गजल जादुई है।

vandana gupta ने कहा…

वाह एक से बढकर एक शेर है ………उम्दा गज़ल

विभूति" ने कहा…

बहुत ही खुबसूरत और प्यारी रचना..... भावो का सुन्दर समायोजन......

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