मंगलवार, सितंबर 16, 2014

मिलेंगे यहाँ पर शिकारी बहुत ।

चढ़ी है वफ़ा की खुमारी बहुत 
खबर है,  मिले हार भारी बहुत । 

शिकायत न कर यार, खुद रख नज़र 
मिलेंगे यहाँ पर शिकारी बहुत । 

उसी ने दिए थे हमें जख्म ये 
करे आज तीमारदारी बहुत । 

मेरे ख्याल किस रंग में ढल गए 
न उतरी, नज़र थी उतारी बहुत । 

न छोड़े किसी को कभी वक्त ये 
दिखाओ भले होशियारी बहुत । 

तमाशा दिखाएँ, करें कुछ नहीं
यहाँ ' विर्क ' से हैं मदारी बहुत । 

दिलबाग विर्क 
***** 

4 टिप्‍पणियां:

Malhotra vimmi ने कहा…

न छोड़े किसी को कभी वक्त ये

दिखाओ भले होशियारी बहुत ।

बेहतरीन ,
लाजवाब प्रस्तुति।

Madabhushi Rangraj Iyengar ने कहा…

उम्दा.

प्रतिभा सक्सेना ने कहा…

सही कहा है -सचमुच मदारियों की कमी नहीं है!

सुरेन्द्र "मुल्हिद" ने कहा…

maasha-allah....subhaan-allah...

welcome to my new post :

http://raaz-o-niyaaz.blogspot.com/2013/07/blog-post.html

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