चढ़ी है वफ़ा की खुमारी बहुत
खबर है, मिले हार भारी बहुत ।
शिकायत न कर यार, खुद रख नज़र
मिलेंगे यहाँ पर शिकारी बहुत ।
उसी ने दिए थे हमें जख्म ये
करे आज तीमारदारी बहुत ।
मेरे ख्याल किस रंग में ढल गए
न उतरी, नज़र थी उतारी बहुत ।
न छोड़े किसी को कभी वक्त ये
दिखाओ भले होशियारी बहुत ।
तमाशा दिखाएँ, करें कुछ नहीं
यहाँ ' विर्क ' से हैं मदारी बहुत ।
दिलबाग विर्क
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4 टिप्पणियां:
न छोड़े किसी को कभी वक्त ये
दिखाओ भले होशियारी बहुत ।
बेहतरीन ,
लाजवाब प्रस्तुति।
उम्दा.
सही कहा है -सचमुच मदारियों की कमी नहीं है!
maasha-allah....subhaan-allah...
welcome to my new post :
http://raaz-o-niyaaz.blogspot.com/2013/07/blog-post.html
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