दिखते हैं यहाँ पर हमदम बहुत
मगर देते हैं लोग जख्म बहुत |
दिखाकर ख़ुशी की झलक अक्सर
दिए हैं इस ज़िन्दगी ने गम बहुत |
वो बेवफ़ा था, चला गया छोड़कर
फिर भी उसके लिए रोए हम बहुत |
हम सलामत हैं, ये अजूबा है
करने वाले ने किए थे सितम बहुत |
कसक, जलन, गम का मौसम न गया
आए और चले गए मौसम बहुत |
मुकद्दर से ' विर्क ' कब तक लड़ता
इस राह में थे पेचो - ख़म बहुत |
दिलबाग विर्क
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मेरे और कृष्ण कायत जी द्वारा संपादित पुस्तक " सतरंगे जज़्बात " से
7 टिप्पणियां:
वाह....बहुत खूब शेर हैं ...
हम सलामत हैं, ये अजूबा है
करने वाले ने किए थे सितम बहुत |
कसक, जलन, गम का मौसम न गया
आए और चले गए मौसम बहुत |
…बहुत सुन्दर।
wah ! kya khoob arz kiya hai
बहुत उम्दा !
दो अजनबी !
बहुत खूब! सुदर भाव
वाह
बहुत खुब।
bahut sundar gagar me sagar ...
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