साँस नहीं लेता, मैं तुझे अर्घ्य चढ़ाता हूँ
गीत नहीं गाता, मैं तुझे गुनगुनाता हूँ ।
फूलों में तू है
बूंदों में तू है
तेरी है धरती
तेरा है नभ भी
ज़र्रे-ज़र्रे में तेरा वजूद पाता हूँ
गीत नहीं गाता, मैं तुझे गुनगुनाता हूँ ।
सुख-दुःख आते हैं
आकर जाते हैं
ठहरा कब कुछ है
तेरा सब कुछ है
जीवन जो पाया, उसकी ख़ुशी मनाता हूँ
गीत नहीं गाता, मैं तुझे गुनगुनाता हूँ ।
मैं हूँ दीवाना
जैसे परवाना
जलना आदत है
इश्क़ बुरी लत है
फूला न समाऊँ, जब तेरा कहलाता हूँ
गीत नहीं गाता, मैं तुझे गुनगुनाता हूँ ।
दिलबाग विर्क
*********
मेरे और कृष्ण कायर द्वारा संपादित पुस्तक " सतरंगे जज़्बात " में से
गीत नहीं गाता, मैं तुझे गुनगुनाता हूँ ।
फूलों में तू है
बूंदों में तू है
तेरी है धरती
तेरा है नभ भी
ज़र्रे-ज़र्रे में तेरा वजूद पाता हूँ
गीत नहीं गाता, मैं तुझे गुनगुनाता हूँ ।
सुख-दुःख आते हैं
आकर जाते हैं
ठहरा कब कुछ है
तेरा सब कुछ है
जीवन जो पाया, उसकी ख़ुशी मनाता हूँ
गीत नहीं गाता, मैं तुझे गुनगुनाता हूँ ।
मैं हूँ दीवाना
जैसे परवाना
जलना आदत है
इश्क़ बुरी लत है
फूला न समाऊँ, जब तेरा कहलाता हूँ
गीत नहीं गाता, मैं तुझे गुनगुनाता हूँ ।
दिलबाग विर्क
*********
मेरे और कृष्ण कायर द्वारा संपादित पुस्तक " सतरंगे जज़्बात " में से
5 टिप्पणियां:
ज़र्रे-ज़र्रे में तेरा वजूद पाता हूँ
गीत नहीं गाता, मैं तुझे गुनगुनाता हूँ ।
अति सुंदर पंक्तियां।
बेहद खुबसूरत रचना ...... 5 लिंकों के साथ संग्रह की मैं
बहुत सुन्दर
भक्ति और आस्था से परिपूर्ण सुंदर रचना।
वाह!बेहतरीन सर ।
सादर
एक टिप्पणी भेजें