शनिवार, अप्रैल 09, 2011

लघुकथा - 3


         आज का सच            
अध्यापक ने बच्चों को ईमानदार लकडहारा कहानी याद करने के लिए दी थी . अगले दिन कहानी सुनी जा रही थी . सुनाते वक्त एक बच्चे की जवान लडखड़ाई ." लकडहारा  ईमानदार आदमी था ", कहने की बजाए वह बोला -" ईमानदार आदमी लकडहारा था ."  
          अध्यापक सोच रहा है कि यही तो आज के वक्त का सच है कि ईमानदार आदमी लकडहारा ही है , अर्थात मजदूर है , गरीब है , बेबस है , मामूली आदमी है और जो भ्रष्ट है वह मालिक है , अमीर है , शहंशाह है , मजे में है .
       
                      * * * * *

11 टिप्‍पणियां:

Darshan Lal Baweja ने कहा…

वाह मास्साब सुंदर ...

लाल कलम ने कहा…

बहुत सारगर्भित बात कह दी आप ने
बहुत सुन्दर
बहुत - बहुत धन्यवाद

Kunwar Kusumesh ने कहा…

Heart touching laghu katha. wonderful.

Markand Dave ने कहा…

शब्द कम पर बात बहुत ग़हरी..!!
वाह मित्रवर,बहुत अच्छे ।

मार्कण्ड दवे ।

Amrita Tanmay ने कहा…

Sach kahti sundar katha..

हल्ला बोल ने कहा…

-------- यदि आप भारत माँ के सच्चे सपूत है. धर्म का पालन करने वाले हिन्दू हैं तो
आईये " हल्ला बोल" के समर्थक बनकर धर्म और देश की आवाज़ बुलंद कीजिये...
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संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

सटीक बात कह दी ... अच्छी प्रस्तुति

vandana gupta ने कहा…

सच कहा।

सहज साहित्य ने कहा…

इस तरह के कथन लघुकथा को कमज़ोर करते हैं ; क्योंकि लघुकथा में इस तरह की व्याख्या की गुंजाइश नहीं होती ।

Onkar ने कहा…

सुंदर प्रस्तुति

Anuradha chauhan ने कहा…

बेहद हृदयस्पर्शी

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