मंगलवार, मई 31, 2011

अगज़ल - 19

तेरे जाने के बाद लगा दिल को ऐसे
कोई ग़ज़ल अधूरी छूट गई हो जैसे |

हर शख्स अपने ढंग से निभाता है इसे 
जानकर भी बच न पाया वफा-सी शै से |
शुक्र है खुदा का , अंजाम तक न पहुंचे 
न पूछो आए थे हमें ख्याल कैसे-कैसे |

तुम्हें भुलाने की कोशिश करते हैं हम 
कभी अपने आंसुओं से, तो कभी मै से |

लोगों की नजर में भले जिन्दा हैं मगर 
साँसें तो कब की निकल चुकी हैं रगो-पै से |

यूँ  तो बेवफाई आम बात हो गई है मगर 
गम है तो यही ' विर्क ' तुम भी निकले वैसे |

दिलबाग विर्क 
* * * * *
                               रगो-पै  ----- शरीर 
                 * * * * *

12 टिप्‍पणियां:

Kunwar Kusumesh ने कहा…

खूब लिख रहे हैं विर्क जी.क्या बात है आपके शेरों की.
मेरी पोस्ट पर आपकी टिप्पणी की प्रतीक्षा है.

सुरेन्द्र सिंह " झंझट " ने कहा…

शुक्र है खुदा का , अंजाम तक न पहुंचे
न पूछो आये थे , हमें ख्याल कैसे-कैसे
.................बढ़िया शेर
................चित्र ने तो घायल ही कर दिया

ZEAL ने कहा…

बहुत सुन्दर ग़ज़ल है। पढ़कर मन थोडा उदास हो गया। अक्सर ऐसे लम्हे आते है जीवन में जब ऐसे-ऐसे ख़याल आते हैं। चित्र रूह कंपा देने वाला है।

मुकेश कुमार सिन्हा ने कहा…

simply wah!!!!!

Anju (Anu) Chaudhary ने कहा…

हर शख्स अपने ढंग से निभाता है इसे
ये जानकर भी बच न पाया वफा-सी शै से .

waise tho sab kuch accha hai par khas kar
ye sher bahut umdaa hai........bahut khub

डॉ. नूतन डिमरी गैरोला- नीति ने कहा…

बहुत खूब... सुन्दर गजल

Urmi ने कहा…

तुम्हें भुलाने की कोशिश करते हैं हम
कभी अपने आंसुओं से तो कभी मै से .
लोगों की नजर में भले जिन्दा हैं मगर
साँसें तो कब की निकल चुकी हैं रगो-पै से...
दिल को छू गयी ये पंक्तियाँ! बहुत सुन्दर और भावपूर्ण गजल !

mridula pradhan ने कहा…

bhawook karnewali......

Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकार ने कहा…

दिलबाग विर्क जी
सादर सस्नेहाभिवादन !

अकविता की तर्ज़ पर अग़ज़ल !
बहुत ख़ूब ! बहुत ख़ूब !!
शुक्र है ख़ुदा का , अंज़ाम तक न पहुंचे
न पूछो आए थे , हमें ख़याल कैसे-कैसे

तुम्हें भुलाने की कोशिश करते हैं हम
कभी अपने आंसुओं से तो कभी मै से


सारे शे'र …म्म्मेऽऽरा मतलब सारे अशे'र अच्छे बने हैं विर्क जी !
:)
मुबारकबाद !

हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं !

- राजेन्द्र स्वर्णकार

Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकार ने कहा…

कृपया ,
शस्वरं
पर आप सब अवश्य visit करें … और मेरे ब्लॉग के लिए दुआ भी … :)

शस्वरं कल दोपहर बाद से गायब था …
हालांकि आज सवेरे से पुनः नज़र आने लगा है …
लेकिन आज भी बार-बार मेरा ब्लॉग गायब हो'कर उसके स्थान पर कोई अन्य ब्लॉग रिडायरेक्ट हो'कर खुलने लग जाता है …

कोई इस समस्या का उपाय बता सकें तो आभारी रहूंगा ।

रेखा ने कहा…

हृदयस्पर्शी.

RAGHUNATH MISHRA ने कहा…

d
il ko chhu jane wali gajalen aur kavitaon se dill ke saath samvad kayam hua.laga jaise dil se baaten karwa din aapne.saduvaad.

-RAGHUNATH MISRA,ADVOCATE(KAVI-SAHITYAKAR-RANGKARMI-SAMPADAK-PRAKASHAK)

SAMPARK:3-K-30,tALWANDI,kOTA(rAJ.)

pHONE:0744-2343O201 mOB:09214313946

e-mail:raghunathmisra@ymail.com

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