उम्र भर के रिश्ते न तोड़ डालना गलतफहमी से
आदमी को जरूरत पडती ही रहती है आदमी से ।
उसके लबों पर हंसी लाना फर्ज है तुम्हारा, अगर
जाने-अनजाने दिल दुखा है किसी का, तुम्हारी कमी से ।
मासूमियत पर पहले ही लोगों को ऐतबार नहीं
रहजन बनके लूटो, मगर न लूटो आँखों की नमी से ।
जमाने के गमों से वाकिफ हो जाता है वो शख्स
खुशियाँ रहें जिससे दूर, नाता हो जिसका गमी से ।
हवा के झोंकों के साथ रुख बदल लेते हैं ये
इस जमाने में आजकल, मिलते हैं लोग मौसमी से ।
किसी मुर्शिद की रहमत हो जाए विर्क तो क्या कहना
यूं तो वक्त भी तराशे है, मगर बड़ी बेरहमी से ।
दिलबाग विर्क
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रहजन ---- लुटेरे
मुर्शिद ---- गुरु
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आदमी को जरूरत पडती ही रहती है आदमी से ।
उसके लबों पर हंसी लाना फर्ज है तुम्हारा, अगर
जाने-अनजाने दिल दुखा है किसी का, तुम्हारी कमी से ।
मासूमियत पर पहले ही लोगों को ऐतबार नहीं
रहजन बनके लूटो, मगर न लूटो आँखों की नमी से ।
जमाने के गमों से वाकिफ हो जाता है वो शख्स
खुशियाँ रहें जिससे दूर, नाता हो जिसका गमी से ।
हवा के झोंकों के साथ रुख बदल लेते हैं ये
इस जमाने में आजकल, मिलते हैं लोग मौसमी से ।
किसी मुर्शिद की रहमत हो जाए विर्क तो क्या कहना
यूं तो वक्त भी तराशे है, मगर बड़ी बेरहमी से ।
दिलबाग विर्क
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रहजन ---- लुटेरे
मुर्शिद ---- गुरु
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