मंगलवार, अप्रैल 30, 2013

अगजल - 56

मुहब्बत के सहारे कहाँ गए 
वो मौसम, वो नजारे कहाँ गए ।
हर पल देखते थे कभी हमको 
आज वो नैन कजरारे कहाँ गए ।

दिल का आसमां बिलकुल साफ़ है 
उम्मीदों के सितारे कहाँ गए ।

उम्र बीत गई है मझधार में 
इस समन्दर के किनारे कहाँ गए ।

जो जलाकर राख कर दे हस्ती 
मेरे दामन के शरारे कहाँ गए ।

कुछ रोज पहले तक तो साथ थे 
क्या कहें, दोस्त हमारे कहाँ गए ?

कौन देखता है इस जमाने में 
' विर्क ' वक्त के मारे कहाँ गए ।

दिलबाग विर्क 
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