मुहब्बत के सहारे कहाँ गए
वो मौसम, वो नजारे कहाँ गए ।
आज वो नैन कजरारे कहाँ गए ।
दिल का आसमां बिलकुल साफ़ है
उम्मीदों के सितारे कहाँ गए ।
उम्र बीत गई है मझधार में
इस समन्दर के किनारे कहाँ गए ।
जो जलाकर राख कर दे हस्ती
मेरे दामन के शरारे कहाँ गए ।
कुछ रोज पहले तक तो साथ थे
क्या कहें, दोस्त हमारे कहाँ गए ?
कौन देखता है इस जमाने में
' विर्क ' वक्त के मारे कहाँ गए ।
दिलबाग विर्क
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