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चंद आँसू, चंद अल्फ़ाज़ ( कविता संग्रह )
सोमवार, मई 06, 2013
सुलगती राख
ये माना, चिंगारियों के भड़कने का दुख है तुम्हें
मगर सोचो
सुलगती राख को हवा
तुम्हीं ने दी थी ।
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