इस नाचीज़ को, क्या इतना बताएगा तू
खुदा मेरे कितना क़हर बरपाएगा तू ।
मुझे ख़बर है मेरी लापरवाहियों से
उम्मीदों के तिनकों को जलाएगा तू ।
तूने दिया दर्द कितना मैं जानता हूँ
बीते हुए लम्हें बहुत याद आएगा तू ।
तुझे भुला सकूं इतनी मेरी हिम्मत नहीं
ये तो मालूम है मुझे भुलाएगा तू ।
ऐ दिल मेरे अब नादानियाँ छोड़ भी दे
कब तक हमें यहाँ रुसवा करवाएगा तू ।
चलो दिल पर छाई गुबार उतर जाएगी
शुक्रिया ' विर्क ' अगर हमें रुलाएगा तू ।
* * * * *
7 टिप्पणियां:
bahut hi sundar gazal..ya kahiye to agazal...
बेहतरीन गज़ल ...
तुझे भुला सकूं इतनी मेरी हिम्मत नहीं
ये तो मालूम है मुझे भुलाएगा तू ।
बढ़िया गज़ल
बेहद ख़ूबसूरत और लाजवाब ग़ज़ल लिखा है आपने ! बधाई!
तूने दिया दर्द कितना मैं जानता हूँ
बीते हुए लम्हें बहुत याद आएगा तू ।
आपकी लेखनी का तो मैं दीवाना हो गया दिलबाग जी ..अतिसुन्दर
शब्द शब्द ख़ूबसूरत ..... उत्तम ग़ज़ल के लिए बधाई.
सीधे सपाट शब्दों में गज़ल कहने का यह अंदाज बहुत ही पसंद आया.
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