मंगलवार, जुलाई 30, 2013

मुझे माफ करना

अगर तलवार के हक़ में हो जाऊँ तो मुझे माफ करना
कलम को हर रोज हारते देखकर बहुत बेचैन हूँ मैं ।

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सोमवार, जुलाई 29, 2013

कहकहों का शोर

कहकहों का शोर आज फिर गूँजा फिजा में यारो 
किसी ने दिल तोड़ा है या कोई दर्द छुपा रहा है ।

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शुक्रवार, जुलाई 26, 2013

इश्क़

खुद को हारना इश्क़ की पहली शर्त थी मगर
हमने सीखा था, लड़ते रहो जब तक जीत न हो ।

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गुरुवार, जुलाई 25, 2013

दोस्त - दुश्मन

गलतफहमियों का शिकार तुम भी रहे और मैं भी
तुम मेरे दोस्त कब थे, मैं तेरा दुश्मन कब था ।

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सोमवार, जुलाई 22, 2013

हौवा ( कविता )

               
                 हौवा कौवा नहीं होता

                 जिसे उड़ा दिया जाए
                 हुर्र कहकर ।

                 हौवा तो वामन है
                 जो कद बढ़ा लेता है अपना
                 हर कदम के साथ ।
                 हौवा तो अमीबा है
                 जितना तोड़ोगे इसे
                 इसकी गिनती बढेगी उतनी ही ।

                 हौवा पैदा करना कोई हौवा नहीं
                 बस एक अफवाह फैलानी है
                 तिल का ताड़ बन जाएगा खुद ही ।

                 हौवा पैदा करना जरूरत है आज की
                 क्योंकि इसी के बल पर सिकेंगी रोटियाँ
                 राजनैतिक रोटियाँ
                 सामाजिक रोटियाँ
                 आर्थिक रोटियाँ
                 धार्मिक रोटियाँ
                 और इन रोटियों को पकाने में
                 गलेगी देह उनकी
                 रोटी जिनके लिए खुद एक हौवा है ।

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शुक्रवार, जुलाई 19, 2013

गिला

तुझे अपने करीब महसूस करता हूँ मैं
तू मुझसे दूर है तो भी इसका गिला नहीं । 

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गुरुवार, जुलाई 18, 2013

चुप्पी

बड़ा मुश्किल होता है किसी को सुनना 
चुप्पी बाहर ही नहीं, भीतर भी चाहिए ।

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मंगलवार, जुलाई 16, 2013

पर्दा नहीं बना

यहाँ मिल जाएँगे हजारों स्थान तुम्हें छुपने के लिए
मगर कोई पर्दा नहीं बना गुनाहों को ढकने के लिए ।

कौन गिरता नहीं यहाँ, गिरकर उठना होता है मगर
बड़ी हिम्मत चाहिए खुद में, गिरकर उठने के लिए ।

मंदिर में सिर झुकाकर किसलिए इतना इतरा रहे हो
पहले खुद को मिटाना जरूरी होता है झुकने के लिए ।

तुझ पर ऐतबार न करना मुहब्बत की तौहीन होगी
मुझे पता है ये, तुम वादा करते हो मुकरने के लिए ।

कोई कल चला, कोई आज चला, किसी की बारी कल है
रहो तैयार ' विर्क ' कौन आया है यहाँ रुकने के लिए ।

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शनिवार, जुलाई 13, 2013

चुप्पी

बड़ा मुश्किल होता है किसी को सुनना 
चुप्पी बाहर ही नहीं, भीतर भी चाहिए ।

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शुक्रवार, जुलाई 12, 2013

खुशबू

जेहन के दरवाजे पर लाख लगाओ नफरत की साँकलें 
मुहब्बत एक खुशबू है यारो, ये भीतर आकर रहेगी ।

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बुधवार, जुलाई 10, 2013

फलसफ़ा

यह सच है, करने से होता है बहुत कुछ मगर 
एक ही फलसफ़ा जिन्दगी में चलता कब है । 

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सोमवार, जुलाई 08, 2013

दौलत के अम्बार

बताओ, दौलत के अम्बार लगाकर तुम क्या करोगे 
वो दौलत से नहीं मिलता, जो मिलता है मुहब्बत से । 

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रविवार, जुलाई 07, 2013

मैखाने चल

दिल के जख्मों का होता है वहीँ ईलाज
घर का रास्ता छोड़कर चल मैखाने चल

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शुक्रवार, जुलाई 05, 2013

जख्म

ऐ दिल मुहब्बत का खेल खेलने से परहेज कर
अभी तूने सीखा नहीं जख्म खाकर संभलना ।

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बुधवार, जुलाई 03, 2013

खत्म हुआ है प्यार

नफरत बढती जा रही, खत्म हुआ है प्यार 
रिश्तों - नातों पर यहाँ , हावी है व्यापार । 
हावी है व्यापार , देखतें हैं बस मतलब 
हो जब मुश्किल वक्त, काम आया कोई कब । 
सदगुण सारे छोड़ , बना ली कैसी आदत 
अपनाए गुण आज, स्वार्थ, ईर्ष्या औ' नफरत । 

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