तेरी
याद छुपाकर सीने में
मजा
आने लगा है जीने में |
मैकदे
की तरफ भेजा जिसने
बुराई
दिखती उसे पीने में |
हवाओं
का रुख देखा न था
अब
कसूर निकालो सफीने में |
रुतें
बदलती हैं दिल को देखकर
आग
लगे सावन के महीने में |
उतारकर
सब नग,
मुहब्बत
पहनो
देखो
दम कितना इस नगीने में |
जीने
लायक सब कुछ है यहाँ पर
क्या
ढूँढ रहे '
विर्क
'
दफीने
में |