भारतीयता
हमारी जाति भी है
और धर्म भी .
सच के लिए
सदा लड़ते रहो
चाहे जो भी हो .
युग बदले
किस्मत न बदली
नारी जाति की .
बेहतर है
फालतू बोलने से
चुप रहना .
देह की नहीं
रूह की खुराक है
मोहब्बत तो .
नहीं सीखते
गलती हमारी है
सिखाए वक्त .
आत्ममंथन
जरूरी है सबसे
सबके लिए .
मासूमियत
नियामत खुदा की
अगर मिले .
व्यवस्था बुरी
जब हम पिसते
अन्यथा नहीं .
हर शाख पे
बैठ गए हैं उल्लू
खुदा ! खैर हो .
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