ऐसे लगता है जैसे यह जिन्दगी देवदासी है
बाँट दी हैं सब खुशियाँ, मेरे पास सिर्फ उदासी है ।
बड़े अरमानों से देखा था तेरी ओर, ऐ आसमां
क्यों छुपा लिया चाँद तूने, क्यों लौटी नजर प्यासी है ?
मैं पागल था जो उसकी बातों को सच समझता रहा
अब पता चला, प्यार का हर मंजर सिर्फ कियासी है ।
हैरत हुई है दिल को उन्हें रंग बदलते देखकर
मालूम न था इसे, इस युग का हर शख्स सियासी है ।
यह अहसास तो है, दर्दे-दिल की इंतिहा नहीं होती
फिर भी लगता है कि हर रात गम की इंतिहा-सी है ।
फिर मिलने की उम्मीद तो रख लेते हम मगर विर्क
कैसे करें भरोसा, इस दिल की धडकन बेवफा-सी है ।
* * * * *
7 टिप्पणियां:
बहुत सुन्दर गज़ल्।
बहुत सुन्दर अ -ग़ज़ल .अभी तक अ -कविता पढ़ी थी .नै कविता पढ़ी थी .
ye jindagi rang badalti hai..kabhi devdaasi kabhi paaro lagti hai..shandar.....aghazal aaur ghazal me kya fark hai ..mujhe iski jaankari nahi hai...sadar badhayee aaur amantran ke sath
यह अहसास तो है, दर्दे-दिल की इंतिहा नहीं होती
फिर भी लगता है कि हर रात गम की इंतिहा-सी है ।
हमेशा की तरह ये पोस्ट भी बेह्तरीन है
कुछ लाइने दिल के बडे करीब से गुज़र गई....
.......नववर्ष आप के लिए मंगलमय हो
शुभकामनओं के साथ
संजय भास्कर
http://sanjaybhaskar.blogspot.com
अब पता चला, प्यार का हर मंजर सिर्फ कियासी है ।
ACHHI DIL KO CHULENE WALI GAZAL
बेहतरीन शेर....
बढ़िया ग़ज़ल.......
सादर
अनु
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