वर्ष 2005 में मेरा ग़ज़लनुमा कविताओं का संग्रह प्रकाशित हुआ था , मैं इसे PDF FILE के रूप में यहाँ प्रस्तुत कर रहा हूँ | आशा है आप इसे पढ़कर अपनी प्रतिक्रिया देंगे ।
बहुत सुन्दर प्रस्तुति। बधायी हो। -- आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल सोमवार (21-04-2014) को "गल्तियों से आपके पाठक रूठ जायेंगे" (चर्चा मंच-1589) पर भी होगी! -- हार्दिक शुभकामनाओं के साथ। सादर...! डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
4 टिप्पणियां:
बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
बधायी हो।
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आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल सोमवार (21-04-2014) को "गल्तियों से आपके पाठक रूठ जायेंगे" (चर्चा मंच-1589) पर भी होगी!
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आनंद आ गया
कीमती एहसास सजाये हैं पुस्तक में गज़लनुमा कवियताएं बेहतरीन प्रस्तुति।
बहुत सुन्दर...बधाई
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