उम्र से है बेहतर , ये एक पल
चल जहाँ तक हो सके, तू साथ चल ।
सीख ले जीना , मिली है जिंदगी
वक्त का पहिया चले कल, आज, कल ।
है मुहब्ब्त का तरीका बस यही
प्यार पाने के लिए खुद को बदल ।
गलतियों को देखना तू छोड़ दे
भूलकर सब कुछ , कभी तो कर पहल ।
ये सियानफ मार डालेगी तुझे
दिल न बन नादान, बच्चे-सा मचल ।
मैं कहूँ मिसरा, बना दे शे'र तू
इस तरह से ' विर्क ' पूरी हो ग़ज़ल ।
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4 टिप्पणियां:
गलतियों को देखना तू छोड़ दे
भूलकर सब कुछ , कभी तो कर पहल ।
...वाह...सभी अशआर लाज़वाब...बहुत उम्दा प्रस्तुति...
बहुत बढ़िया सौद्देश्य ग़ज़ल कही है भाईसाहब क्या सयानप (सयाने पण को कहते हैं ?)कृपया बतलाएं।
खूबसूरत शैर कहा है :
मैं कहूँ मिसरा बना दे शैर तू ,
इस तरह से 'विर्क' पूरी हो ग़ज़ल।
ये सयानप मार डालेगी तुझे ,
दिल न बन नादाँ ,बच्चे -सा मचल
भाईसाहब क्या सयानप (सयाने पन को कहते हैं ?)कृपया बतलाएं।
अति सूधौ सनेह का मारग हैं ,
इसमें नहीं नैंक सयानप देख सखे
इस मार्ग में सियानापन ,होश्यारी नहीं चलेगी।
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