एक जवाबहीन सवाल बनकर रह गया
मेरा प्यार तो बस ख्याल बनकर रह गया ।
कुछ पलों में ही ख़ामोश होना था इसे
जज्बों का तूफ़ान उबाल बनकर रह गया ।
काश! उधर से भी होती कोशिशे-बगावत
पर वह रिवाजों की ढाल बनकर रह गया ।
अब नहीं रही रिश्तों की कुछ भी अहमियत
हर हुनर शतरंजी चाल बनकर रह गया ।
न हक़ीक़त बन सका, न उतर सका ख्यालों से
इश्क़ तो बस अब मिसाल बनकर रह गया ।
खेल की तरह होना था इसको मगर ' विर्क '
ज़िन्दगी का सफ़र जंजा़ल बनकर रह गया ।
दिलबाग विर्क
* * * * * *
6 टिप्पणियां:
isi ka nam jindagi hai
kahi kis karwat...kabhi kis karwat...koi nahi janta
बहुत खूब.
वाह!
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
अब नहीं रही रिश्तों की कुछ भी अहमियत
हर हुनर शतरंजी चाल बनकर रह गया ।
......क्या खूबसूरत ग़ज़ल कही है...सुभान अल्लाह...वाह
वाह!
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
बहुत सुन्दर... खूबसूरत ग़ज़ल ..
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