निवेदन - कृपया इसे कुंडलिया छंद के मापदंड पर न परखें, इसे सिर्फ षटपदीय समझें
औरत क्यों सुरक्षित नहीं, आज भी घर बाहर
बाहर दरिन्दे लूटते, घर में अपनों का डर ।
घर में अपनों का डर, कहीं जला न दे कोई
दहेज़ दानव हुआ, ये कैसी किस्मत हुई ।
भ्रूण-हत्या, बलात्कार, विर्क हो रहे यहाँ नित्त
उपर से दुःख यही , औरत को सताए औरत ।
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