गुरुवार, दिसंबर 26, 2013
मंगलवार, दिसंबर 24, 2013
आँखों में मैखाने
हर सू , हर शै में हमको वो दिखते हैं
जब भी दिल जुड़ते, नैन मिला करते हैं ।
इश्क़ किया जाता कैसे, सुन लो यारो
कुछ तो कहते परवाने, जब जलते हैं ।
किसमें दम इतना, कौन मुकाबिल तेरे
चाँद - सितारे तेरा पानी भरते हैं ।
पीने वाले बदनाम हुए हैं नाहक
वो आँखों में मैखाने लिए फिरते हैं ।
यूँ लगता है, तेरे गेसू हों जैसे
जब पगलाने वाले बादल घिरते हैं ।
दर्द बँटा लेते हैं जब हम औरों का
जीवन में विर्क खुशी के गुल खिलते हैं ।
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गुरुवार, दिसंबर 19, 2013
सोमवार, दिसंबर 16, 2013
वफा के खिलौने पुराने हुए
बड़ी गुर्बज़ी के जमाने हुए
शराफत, अदब तो फ़साने हुए । वफा के लिए कौन मिटता यहाँ
वफा के खिलौने पुराने हुए ।
न ढूँढा गया तोड़ इस चाल का
नए रोज उनके बहाने हुए ।
जहाँ दिन ढला या कदम थक गए
वहीं पर हमारे ठिकाने हुए ।
नफा देखते लोग हर बात में
सभी आज बेहद सियाने हुए ।
यहाँ आम जब से हुई नफरतें
न फिर ' विर्क ' मौसम सुहाने हुए ।
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गुर्बज़ी - मक्कारी
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बुधवार, दिसंबर 11, 2013
देख न लिबास साकिया
ऊँची उड़ान चाहे मेरी आस साकिया
ये चोटियाँ बुला रही हैं पास साकिया |
तू बार-बार ऐसे मेरा इम्तिहां न लें
कमतर नहीं किसी से मेरी प्यास साकिया |
चखकर मिले सदा, यार इस इश्क का मजा
तू चूक जाएगा, लगा न कयास साकिया |
सबको पिला रहा जाम, कुछ भी न पूछता
गम का न हो रहा तुझे अहसास साकिया |
कुछ और ही निकलता है भीतर से आदमी
गहरा उतर यहाँ, देख न लिबास साकिया |
देती सकून, ख़ाक उड़े जो तेरी गली
है ' विर्क ' के लिए तेरा दर ख़ास साकिया |
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सोमवार, दिसंबर 02, 2013
प्यार का इल्जाम रहने दे
सिखाना छोड़, होंठों पर उसी का नाम रहने दे
यही है जिन्दगी अब, हाथ में तू जाम रहने दे ।
अदा होगी नहीं कीमत कभी मशहूर होने की
यही अच्छा रहेगा, तू मुझे गुमनाम रहने दे ।
मझे मालूम है, रूसवा करेंगें प्यार के चर्चे
लगे प्यारा, मेरे सिर प्यार का इल्जाम रहने दे ।
शरीफों की शराफत देख ली मैंने यहाँ यारो
नहीं मैं साथ उनके, तुम मुझे बदनाम रहने दे ।
तुझे जो चाहिए ले ले, बचे जो छोड़ देना वो
मेरे हिस्से सवेरा जो न हो, तो शाम रहने दे ।
मुझे तो राह का'बे का लगे महबूब की गलियाँ
वहाँ पर ' विर्क ' जाना रोज हो, कुछ काम रहने दे ।
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बुधवार, नवंबर 27, 2013
मुकद्दर है सफर करना
न चाहा बेवफा की याद में यूँ आँख तर करना
करे मजबूर दिल इतना कि पड़ता है मगर करना ।
मुहब्बत चीज कैसी है, न जीने दे, न मरने दे
सकूँ छीने, करे बेबस, इसे कहते असर करना ।
पुरानी बात छोड़ो, कुछ नया चाहे सदा दुनिया
रहे ताउम्र सबको याद, कुछ ऐसा नजर करना ।
यही सच है, यहाँ घर पत्थरों के, लोग भी पत्थर
हमारा फर्ज है, हालात कुछ तो बेहतर करना ।
किनारे की तमन्ना कश्तियों को किसलिए होगी
इधर से वे उधर जाती , मुकद्दर है सफर करना ।
बड़े गहरे दबे हैं ' विर्क ', झूठी जिन्दगी के सच
तुझे मालूम हो जाएँ अगर, सबको खबर करना ।
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मंगलवार, नवंबर 19, 2013
आँख को अश्क मंजूर है
पा रहा दिल यहाँ साथ भरपूर है
प्यार में आँख को अश्क मंजूर है ।
दूरियाँ और नजदीकियाँ झूठ सब
पास पाऊँ तुझे, तू भले दूर है ।
इश्क़ में डूबकर जान पाया यही
हर तरफ छा रहा एक ही नूर है ।
सीरतें सूरतों से सदा बेहतर
हुस्न यूँ ही नशे में हुआ चूर है ।
रात-दिन काम के फिक्र में घूमता
आदमी तो महज एक मजदूर है ।
थूकता था जमाना जिसे देखकर
देख लो शख्स वो आज मशहूर है ।
हाथ से हाथ पर्दा रखे है यहाँ
ये नए दौर का ' विर्क ' दस्तूर है ।
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बुधवार, नवंबर 13, 2013
तुझे सोचता है जहन रात - दिन
परिन्दे उजाड़ें चमन रात-दिन
सुलगता रहे दिल, जलन रात-दिन ।
मिरे देश की है सियासत बुरी
यहाँ बिक रहे हैं कफन रात-दिन ।
पुरानी हुई बात तहजीब की
बदलने लगा है चलन रात-दिन ।
रहा रोग अब सिर्फ दिल तक नहीं
तुझे सोचता है जहन रात - दिन ।
बँधा था सदा फर्ज की डोर से
किया ख्वाहिशों का दमन रात-दिन ।
निराशा मिली ' विर्क ' औलाद से
परेशान रहता वतन रात-दिन ।
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शनिवार, नवंबर 02, 2013
शुक्रवार, अक्टूबर 25, 2013
फिर याद आया राम है
सुन मुहब्बत दे रही पैगाम है
प्यार ही सबसे नशीला जाम है ।
दिन चुनावों के लगें नजदीक ही
देख लो फिर याद आया राम है ।
भूल जाते लोग दो दिन बाद ही
सोच ये, हमने कमाया नाम है ।
बिक रहा हर आदमी इस देश का
था नगीना पर बड़ा कम दाम है ।
यूँ खड़े हैं साथ मेरे यार सब
जब जरूरत, कौन आया काम है ।
आबरू के उड़ रहे हैं परखचे
हो रहा अब ये तमाशा आम है ।
' विर्क ' अब हम जी रहे किस दौर में
ये शराफत भी बनी इल्जाम है ।
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मंगलवार, अक्टूबर 22, 2013
उम्र भर कब रहा साथ साया घना
सीख ले धूप की तल्खियाँ झेलना
उम्र भर कब रहा साथ साया घना ।
बन बवंडर गई देखते - देखते
आग से तेज है बात का फैलना ।
दाद देना उसे, कर सका जो मना ।
हार हिस्सा रहेगी सदा खेल का
जीत की चाह रखकर भले खेलना ।
तंग है सोच, दिखती नहीं खूबियाँ
आदतन वो करे सिर्फ आलोचना ।
देखने का तरीका बदल तो सही
खूबसूरत दिखेगा जहां, देखना ।
तोड़ दो , अब जरूरत नहीं जाम की
बिन पिए आ गया ' विर्क ' गम ठेलना ।
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रविवार, अक्टूबर 20, 2013
लोग बस नारे लगाना जानते
दर्द औरों का बँटाना जानते
काश ! यारी हम निभाना जानते।
इस तरफ हैं वो कभी उस ओर हैं
लोग बस नारे लगाना जानते ।
खो गया विश्वास यारो क्या करें
सब यहाँ पर आजमाना जानते ।
दर्द की कोई दवा देते नहीं
हुस्नवाले दिल जलाना जानते।
ईंट-पत्थर के मकां, लो बन गए
काश ! घर कोई बनाना जानते।
हो पसीने की महक जिसमें भरी
क्यों नहीं ऐसे कमाना जानते।
बेवफा कहता न फिर कोई हमें
' विर्क ' जो आँसू बहाना जानते ।
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गुरुवार, अक्टूबर 17, 2013
आँख रोए कभी दिल जले
प्यार की राह पर जब चले
आँख रोए कभी दिल जले ।
दिन उगे, शाम या फिर ढले ।
गलतियाँ कुछ तेरी, कुछ मेरी
रात-दिन फिर बढ़े फासिले ।
आदमी एक से ही मिले ।
नोचते लोग कलियाँ जहाँ
फूल कोई वहाँ कब खिले ।
' विर्क ' दरपेश हैं मरहले ।
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सोमवार, अक्टूबर 14, 2013
ये दिल कभी बंजर नहीं होता
करे पागल, मुहब्बत का असर किस पर नहीं होता
बड़ा जरखेज है , ये दिल कभी बंजर नहीं होता ।
कशिश है खास, सादापन सदा तारीफ पा लेता
न मानो बेहतर, ये हुस्न से कमतर नहीं होता ।
बड़ा मुश्किल मगर खुद्दार होना तो जरूरत है
झुके जो हर किसी के सामने वो सिर नहीं होता ।
हमें बेखौफ कर देता, मुहब्बत पाक जज्बा है
करे है इश्क जो, उसको किसी का डर नहीं होता ।
हजारों चाहने वाले मगर साथी नहीं कोई
यही तो है नसीब, तवाइफों का घर नहीं होता ।
मुझे तो पाक दिखता है मिरे महबूब का दर भी
यहाँ सजदा न हो खुद, वो खुदा का दर नहीं होता ।
कभी घर ही बने मंदिर, बनाना ' विर्क ' जब चाहें
जिसे मंदिर कहा, वो भी कभी मंदिर नहीं होता ।
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बड़ा जरखेज है , ये दिल कभी बंजर नहीं होता ।
कशिश है खास, सादापन सदा तारीफ पा लेता
न मानो बेहतर, ये हुस्न से कमतर नहीं होता ।
बड़ा मुश्किल मगर खुद्दार होना तो जरूरत है
झुके जो हर किसी के सामने वो सिर नहीं होता ।
हमें बेखौफ कर देता, मुहब्बत पाक जज्बा है
करे है इश्क जो, उसको किसी का डर नहीं होता ।
हजारों चाहने वाले मगर साथी नहीं कोई
यही तो है नसीब, तवाइफों का घर नहीं होता ।
मुझे तो पाक दिखता है मिरे महबूब का दर भी
यहाँ सजदा न हो खुद, वो खुदा का दर नहीं होता ।
कभी घर ही बने मंदिर, बनाना ' विर्क ' जब चाहें
जिसे मंदिर कहा, वो भी कभी मंदिर नहीं होता ।
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शुक्रवार, अक्टूबर 04, 2013
शनिवार, सितंबर 28, 2013
शतरंजी चालें क्या तुमने देखी हैं
दिन खुलकर हँसते हैं, रातें रोती हैं ।
कुदरत की बातें भी मेरे जैसी हैं ।
आँसू कहता कोई कहता है शबनम
कोई फर्क नहीं, ये बूँदें मोती है ।
कुछ तो राज छुपा है उनकी बातों में
सबसे छुपकर जो सिर जोड़े बैठी हैँ ।
लोग चला करते पर्दे के पीछे से
शतरंजी चालें क्या तुमने देखी हैं ?
जो बातें ढल पाई मेरी ग़ज़लों में
कुछ जग पर बीती, कुछ खुद पर बीती हैं ।
रिश्तों में ' विर्क ' दरार यही डालेंगी
जो बातें अब लगती छोटी-छोटी हैं ।
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बुधवार, सितंबर 25, 2013
ये वक्त हुआ है किसका ?
आएगी आफत तू इस डर से न डरा
हर दर्द लगे है मुझको तो एक दवा ।
इस मैं ने हमको पकड़ रखा कुछ ऐसे
हम करते रहते अक्सर तेरा-मेरा ।
मंदिर-मस्जिद में क्यों ढूँढू मैं उसको
जब मेरे पहलू में बैठा आज खुदा ।
ये साजन से मिलकर आया है जैसे
नाच रहा इस कुदरत का जर्रा-जर्रा ।
तुम देखो उल्फत में क्या हश्र हुआ है
मैं सुधरा, टूटा, बिखरा या फिर बहका ।
तेरा न हुआ तो क्यों गम में डूबा है
'विर्क' सुनो तो, ये वक्त हुआ है किसका ?
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शनिवार, सितंबर 14, 2013
हिंदी जुबान हूँ मैं
मीठी हिंदी जुबान हूँ मैं
हिन्द देश की शान हूँ मैं ।
न भागो औरों के पीछे
तुम्हारी पहचान हूँ मैं ।
संस्कृत की बेटी हूँ भले
उर्दू से कब अनजान हूँ मैं ।
तुमसे मिलता है मान मुझे
दिलाती तुम्हें मान हूँ मैं ।
देशी-विदेशी सबको समाया
बनी शब्दों की खान हूँ मैं ।
फैलें सभी भाषाएँ मगर
देश की धड़कन, जान हूँ मैं ।
मीठी हिंदी जुबान हूँ मैं
हिन्द देश की शान हूँ मैं ।
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बुधवार, सितंबर 11, 2013
है प्यार बड़ा ताकतवर
जिसने प्रीत निभाई है ।
ऊँचाई देती है वो
भीतर जो गहराई है ।
जब से मैंने इश्क किया
मुझ पर मस्ती छाई है ।
चाहे लफ्ज अढाई है ।
सीने से लगकर यारो
भर देना जो खाई है ।
भीड़ रहे इस धरती पर
चोटी पर तन्हाई है ।
निकली है मेरे दिल से
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शनिवार, सितंबर 07, 2013
टूटा दिल बहते आँसू
इस दिल ने नादानी में
आग लगा दी पानी में ।
वा'दे सारे खाक हुए
आया मोड़ कहानी में ।
तेरी याद चली आए
है ये दोष निशानी में ।
लोग फँसे नादानी में ।
या रब ऐसा क्यों होता
दुख हर प्रेम कहानी में ।
टूटा दिल बहते आँसू
पाए ' विर्क ' जवानी में ।
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मंगलवार, सितंबर 03, 2013
इश्क करो, दीवाने हो जाओ
जो मदमस्त न हो, अब ऐसी कोई सुबह नहीं, शाम नहीं
तेरी याद नशा देती है , मेरे हाथों में जाम नहीं ।धड़के तेरी खातिर मेरा दिल, मेरी खातिर तेरा दिल
कितना अच्छा है कि हमारे रिश्ते का कोई नाम नहीं ।
दौलत के अम्बार सकूँ देंगे तुम्हें, ये वह्म न पालो
दिल से इंसा को चाहो, इससे बढ़कर कोई काम नहीं ।
इस दुनिया को छोड़ो तुम, इश्क करो, दीवाने हो जाओ
न डरो तुम, उल्फत तो तमगा है, ये कोई इल्जाम नहीं ।
मैं दिल की बात सुनाता हूँ, सुनना चाहो तो सुन लेना
दुनिया वालो मेरा मकसद तुम्हे देना पैगाम नहीं ।
दिल झुकने को तैयार यहाँ, समझो वो स्थान खुदा का है
चूक हुई है, मंदिर-मस्जिद 'विर्क' इमारत का नाम नहीं ।
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रविवार, सितंबर 01, 2013
एक नया जख्म खाया
जज्बाती होना ये रंग है लाया
दर्द का मर्ज मैंने दिल को लगाया ।
मेरी बेबसी का ये हाल है यारो
हँसने की कोशिश की जब, रोना आया ।
सीखा रास्ते की हर ठोकर से मगर
हर रोज हमने एक नया जख्म खाया ।
पीठ पीछे तालियाँ बजा रहा था वो
पास आकर जिसने अफसोस जताया ।
उधेड़बुन में हाथ से निकले दोनों
न दुनिया हुई मेरी, न सनम पाया ।
नफरतों का साज बज रहा साथ इसके
लोगों ने ये कैसा प्रेम गीत गाया ।
इस दुनिया पे ऐतबार न करो ' विर्क '
इसने अक्सर शिखर पर चढ़ाकर गिराया ।
**********
दर्द का मर्ज मैंने दिल को लगाया ।
मेरी बेबसी का ये हाल है यारो
हँसने की कोशिश की जब, रोना आया ।
सीखा रास्ते की हर ठोकर से मगर
हर रोज हमने एक नया जख्म खाया ।
पीठ पीछे तालियाँ बजा रहा था वो
पास आकर जिसने अफसोस जताया ।
उधेड़बुन में हाथ से निकले दोनों
न दुनिया हुई मेरी, न सनम पाया ।
नफरतों का साज बज रहा साथ इसके
लोगों ने ये कैसा प्रेम गीत गाया ।
इस दुनिया पे ऐतबार न करो ' विर्क '
इसने अक्सर शिखर पर चढ़ाकर गिराया ।
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बुधवार, अगस्त 28, 2013
पागल दिल मेरा
इसको तेरे बिन कुछ भी दिखता कब है
पागल दिल मेरा, मेरी सुनता कब है ।
कोई शख्स हसीं इसको बहका न सका
ये दिल अब और किसी को चुनता कब है ।
टूटेगा आखिर, इंसां का हश्र यही
कोई मिट्टी का पुतला बचता कब है ।
ये आशिक तेरे दर पर मरना चाहे
काबा माने बैठा है, उठता कब है ।
बस तुझको पाना ही है मकसद मेरा
बिन इसके दिल और दुआ करता कब है ।
'विर्क' भले अपना मिलना लगता मुश्किल
पर उम्मीदों का सूरज ढलता कब है ।
दिलबाग विर्क
बुधवार, अगस्त 21, 2013
दिल छोटा-सा बच्चा है शायद
सुन मीठे बोल बिका है शायद
दिल छोटा-सा बच्चा है शायद ।
दाद मिली है लोगों से मुझको
मैंने कुछ झूठ कहा है शायद ।
हर आहट चौंका देती हमको
हम सबमें चोर छुपा है शायद ।
मेरा दिल फिर बेचैन हुआ है
तूने मुझको सोचा है शायद ।
कहती है आज चमक आँखों की
कोई इंसान दिखा है शायद ।
दिल टूटे तो शोर नहीं होता
कोई शीशा टूटा है शायद ।
बहका देता इश्क जिसे भी हो
' विर्क ' तुझे भी रोग लगा है शायद ।
दिलबाग विर्क
बुधवार, अगस्त 07, 2013
मुझे अपनी बात कहनी है
गुनाहों की दास्तां बन चुकी है खबर भी
शर्मिंदगी से जमीं में गड़ रही नजर भी ।
हालात बदलने की कोशिश तो करें हम
इस चुप्पी से रोएगी धरा भी, अब्र भी ।
सच कहना है मुझे बुलंद आवाज में
इसके लिए मंजूर है मुझको जहर भी ।
कत्ल आदमियत का रोज कर रहे हैं लोग
शामिल हैं इसमें सब, गाँव भी, शहर भी ।
फैसले का इंतजार तुम्हें क्योंकर है
मुजरिम के हक में है मुंसिफ भी, सद्र भी ।
मुझे अपनी बात कहनी है हर हाल में
बह्र में भी कहता हूँ ' विर्क ' बेबह्र भी ।
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शर्मिंदगी से जमीं में गड़ रही नजर भी ।
हालात बदलने की कोशिश तो करें हम
इस चुप्पी से रोएगी धरा भी, अब्र भी ।
सच कहना है मुझे बुलंद आवाज में
इसके लिए मंजूर है मुझको जहर भी ।
कत्ल आदमियत का रोज कर रहे हैं लोग
शामिल हैं इसमें सब, गाँव भी, शहर भी ।
फैसले का इंतजार तुम्हें क्योंकर है
मुजरिम के हक में है मुंसिफ भी, सद्र भी ।
मुझे अपनी बात कहनी है हर हाल में
बह्र में भी कहता हूँ ' विर्क ' बेबह्र भी ।
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शुक्रवार, अगस्त 02, 2013
फैले मुहब्बत करो ये दुआ
दर्द देगी यहाँ साफगोई सदा
सीख लो बात को तुम घुमाना जरा |
तुम गलत मानते, ये बात और है
जो लगा ठीक मुझको वही तो कहा |
है वहीं, ढूँढना आदमी में उसे
आदमी से जुदा कब हुआ है खुदा |
चाहिए उम्र इसको, न आसान ये
एक दिन में नहीं पनपता फलसफा |
खूबसूरत बनेगा इसी से जहां
' विर्क ' फैले मुहब्बत करो ये दुआ |
दिलबाग विर्क
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सीख लो बात को तुम घुमाना जरा |
तुम गलत मानते, ये बात और है
जो लगा ठीक मुझको वही तो कहा |
है वहीं, ढूँढना आदमी में उसे
आदमी से जुदा कब हुआ है खुदा |
चाहिए उम्र इसको, न आसान ये
एक दिन में नहीं पनपता फलसफा |
खूबसूरत बनेगा इसी से जहां
' विर्क ' फैले मुहब्बत करो ये दुआ |
दिलबाग विर्क
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गुरुवार, अगस्त 01, 2013
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